
बजट से दूर होगी एमएसएमई की भुगतान में देरी की समस्या
चैंबर आफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता ने कहा कि एमएसएमई को सरकारी खरीद से बड़ी राहत मिलती है। लेकिन भुगतान में होने वाली देरी बड़ी समस्या है। ऐसे में बजट में कागज रहित ऐंड टू ऐंड ऑनलाइन ई-बिल सिस्टम के प्रावधान से एमएसएमई की सरकारी खरीद नीति के तहत भुगतान में देरी की समस्या दूर हो सकती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज कहते हैं कि रेजिंग ऐंड एक्सिलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस (आरएएमपी) कार्यक्रम भी भुगतान में देरी की समस्या सुलझाने पर जोर देता है। बजट में आरएएमपी के लिए 6,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
बजट में आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को एक और साल बढ़ाकर 31 मार्च 2023 करने के साथ ही गारंटी के दायरे को 50 हजार करोड़ रुपये बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रावधान है। आतिथ्य और इससे संबंधित क्षेत्र महामारी की मार से उबर नहीं पाया है। इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई को ईसीएलजीएस का लाभ दिया जाएगा। क्रेडिट गारंटी फंड्स फॉर माइक्रो ऐंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) योजना के तहत सूक्ष्म व लघु उद्योग को 2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मिल सकेगा। बजट में 6,000 करोड़ रुपये के व्यय से आरएएमपी कार्यक्रम को शुरू करने का प्रस्ताव है। इससे एमएसएमई क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी और कुशल बनेगा। बजट में प्रस्तावित रेलवे के संदर्भ में एक स्थान व एक उत्पाद कार्यक्रम से भी एमएसएमई को लाभ मिलेगा। उदयन, ई-श्रम, एनसीएस व असीम पोर्टल को आपस में जोडऩे और इनका दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव है। बजट में प्रस्ताव है कि आपूर्तिकर्ताओं और ठेकेदारों के लिए अप्रत्यक्ष लागत को कम करने के लिए सरकारी खरीद में बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में जमानत बॉन्ड के उपयोग को स्वीकार्य बनाया जाएगा। इससे एमएसएमई की बैंक गारंटी के रूप में बढऩे वाली 10 से 15 फीसदी लागत में कमी आएगी।